विरोध में वर्चस्वकारी स्वर
हाल में कृषि क्षेत्र से संबंधित मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीन कानूनों पर तथाकथित हरित क्रांति के इलाकों के किसानों ने पिछले हफ्ते भर से दिल्ली के बार्डरों को जाम कर रखा है। ये आंदोलन इन इलाकों में सबसे प्रखर रहे हैं क्योंकि यहीं पर किसानों को सरकारी सहयोग से अधिक फायदा हुआ है। ये आंदोलन इन किसानों की व्याकुलता को दिखाता है। ये किसान कृषि के अंदर खुले बाजारीकरण की अनिश्चितताओं से घबराए हुए हैं। इस आंदोलन का नेतृत्व अवश्य ही बड़े किसानों और उच्च मध्यम किसानों के हाथ मे है जिन्हें इस सहयोग से सबसे अधिक फायदा मिलता था। Continue reading “कृषि कानून, खेती का प्रश्न और वर्गीय दृष्टिकोण”