2022 का बजट —  आटा के बदले डाटा

प्रत्यूष नीलोत्पल

वैसे तो बजट चालू वर्ष की वित्तीय गतिविधियों का लेखा जोखा और आगामी वर्ष के आय व्यय तथा आर्थिक योजना के अनुमानित आंकड़ों का ब्यौरा होता है, किन्तु इस साल का बजट भिन्न था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली फरवरी को लोकसभा में आम बजट 2022-23 पेश करते हुए अपने भाषण में इसे अगले 25 साल का खाका (ब्लू प्रिंट) घोषित कर दिया। सो इस वर्ष का बजट सालाना न होकर अगले 25 साल के मार्गदर्शक दस्तावेज में तब्दील हो गया। और भारत औपचारिक तौर से अमृतकाल में प्रविष्ट हो गया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह बजट 100 साल की भयंकर आपदा के बीच विकास का नया विश्वास लेकर आया है। ये बजट अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही सामान्य नागरिक के लिए अनेक नए अवसर बनाएगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से वर्ष 2022-23 के आम बजट पर आयोजित कार्यक्रम ‘‘आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था’’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि बहुत जरूरी है कि भारत आत्मनिर्भर बने और उस आत्मनिर्भर भारत की नींव पर एक आधुनिक भारत का निर्माण हो।

Continue reading “2022 का बजट —  आटा के बदले डाटा”

बजट 2020: अंधा बांटे रेवाड़ी

अंग्रेज़ी का एक शब्द है डेलूशनल(Delusional) जिसका अर्थ होता है भ्रम का शिकार होना, और जब कोई सरकार इसका शिकार होती है, तो वो 2020 में पेश बजट जैसा कुछ लाती है।

Continue reading “बजट 2020: अंधा बांटे रेवाड़ी”