
फासीवाद या पूरी पूंजीवादी व्यवस्था से अगर कोई विचारधारा लोहा ले सकता है तो वह है मार्क्सवाद। हाँ यह ज़रूर है कि पिछले सदी में इसपर हुए हमले और कुत्साप्रचार से यह घायल हुई है।
फ़्रांसिसी विचारक और दार्शनिक एलेन बदीओ (Alain Badiou ने इसे खूबसूरती के साथ रखा है)
“….अगर हमें राजनीति में इस प्रकार के विकासक्रम का विरोध करना है, तो हमारे सामने सिर्फ एक ही रास्ता खुला है – साम्यवाद का पुनरुत्थान। हमें इस अपमानित किये गए शब्द को फिर से सम्मानित करना होगा। इसे फिर से उठाना होगा, इसे साफ़ करना होगा, और फिर से इसका निर्माण करना होगा। वह शब्द जो करीब दो शताब्दियों से – एक महान स्वप्न – मानव मुक्ति – का प्रतीक है। पिछले कुछ दशकों में हम पर अभूतपूर्व हमले हुए – जो हिंसक एवं क्रूर थीं और उन्होंने हमें बुरी तरह घेर कर हमला किया – इसका परिणाम है कि हम हार की तरफ जाते रहे – इसी वजह से हम किसी को यह भरोसा नहीं दिला सके कि हम इस विकासक्रम को रोकने में सक्षम और पर्याप्त हैं – और अंततः हम खुद ही इस महान उद्देश्य के लक्ष्य से भटकते गए ।”